| 1. | शंका करना वहां गुरु-अपराध है.
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| 2. | अत: ऐसी शंका करना अनभिज्ञता मात्र हैं।
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| 3. | शंका करना मन का स्वभाव होता है।
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| 4. | गुरु के वचनों पर शंका करना शिष्यत्व पर कलंक है।
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| 5. | शंका करना उचित नहीं है |
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| 6. | शंका करना, सवाल उठाना दार्शनिक दृष्टिकोण की बुनियाद है।
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| 7. | बल्कि हमारी समझ में ऐसी शंका करना ही न चाहिए।
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| 8. | प्रश्न करना, पूछना, २. शंका करना
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| 9. | बल्कि हमारी समझ में ऐसी शंका करना ही न चाहिए।
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| 10. | गुरु के वचनों पर शंका करना शिष्यत्व पर कलंक है।
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